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Phool Singh

Tragedy

4  

Phool Singh

Tragedy

सास बहु का झगडा़

सास बहु का झगडा़

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सास बहू के झगड़े में बेटे का बुरा हाल हुआ, 

किसकी तरफदारी करें वो जीना उसका दुश्वार हुआ ||


काम को ले कभी संस्कार को लेकर झगड़ा हुआ 

कभी दूसरों की बात में आकर दोनों ने है स्वाँग रचा ||


माँ की हित की बात करे तो माँ के पल्लू से बंधा हुआ, 

बहू के बारे कुछ कहा तो बेटा बहू का गुलाम हुआ ||


परिवार से अलग होना बहू का मुद्दा आज कल जो आम हुआ 

रुतबा माँ कम ना हो, भारी माँ का नुकसान हुआ ||


बडी मुश्किल ये समस्या खड़ी ना किसी को हल मिला, 

अच्छा होगा रहो देखते परिणाम इसका क्या हो भला ||


घर से निकल जाओ, जब तक झगड़ा ना ये शांत हुआ 

भूल जाती है दोनों ही क्यूँ, जग हसाई का, मुद्दा है ये सबसे बड़ा, ||


लोग तमाशा देखते हरदम जब भी घर में झगड़ा बढ़ा  

अहं की होती है लड़ाई ये तेरी शान को जिसने खाक किया ||

 

बदल रहा है आज का वक़्त भी, सदियों से ना कहीं सुना 

जिन्दगी मे अपनी सब व्यस्त है लड़ाई-झगड़े का वक़्त कहाँ ||


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