सास बहु का झगडा़
सास बहु का झगडा़
सास बहू के झगड़े में बेटे का बुरा हाल हुआ,
किसकी तरफदारी करें वो जीना उसका दुश्वार हुआ ||
काम को ले कभी संस्कार को लेकर झगड़ा हुआ
कभी दूसरों की बात में आकर दोनों ने है स्वाँग रचा ||
माँ की हित की बात करे तो माँ के पल्लू से बंधा हुआ,
बहू के बारे कुछ कहा तो बेटा बहू का गुलाम हुआ ||
परिवार से अलग होना बहू का मुद्दा आज कल जो आम हुआ
रुतबा माँ कम ना हो, भारी माँ का नुकसान हुआ ||
बडी मुश्किल ये समस्या खड़ी ना किसी को हल मिला,
अच्छा होगा रहो देखते परिणाम इसका क्या हो भला ||
घर से निकल जाओ, जब तक झगड़ा ना ये शांत हुआ
भूल जाती है दोनों ही क्यूँ, जग हसाई का, मुद्दा है ये सबसे बड़ा, ||
लोग तमाशा देखते हरदम जब भी घर में झगड़ा बढ़ा
अहं की होती है लड़ाई ये तेरी शान को जिसने खाक किया ||
बदल रहा है आज का वक़्त भी, सदियों से ना कहीं सुना
जिन्दगी मे अपनी सब व्यस्त है लड़ाई-झगड़े का वक़्त कहाँ ||