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Mayank Kumar

Romance

3  

Mayank Kumar

Romance

सामने से

सामने से

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देखती हो तो सामने से आओ

लहराती जुल्फों के साथ सामने से आओ

मत समझना तुम मैं उदास

कृपा करके घर से निकलो

पर मेरे सामने से . .


देखो न तस्वीरों को मेरी

हिम्मत है तो सामना करो

पर सामने से . .


अगर मुश्किल है सामने से

तो फेंक दो एक प्रेम संदेश

पर सामने से . .


कृष्ण मिले थे सामने से

रुकमणी मिली थी सामने से

तो फिर क्यों छुप देखती खिड़कियों से

सीमा लांग मिलो मुझसे सामने से !


मुस्कान दबाए होठों से

गई बिल्कुल सामने से

सखिया थी तेरे संग

मगर तेरा नजर टीका था

मुझपर ,

सामने से !


छत ऊपर घूमती

पर नजर रखती

मुझपर , सामने से

अगर कदम मेरा ,

तेरे पास बढ़ता

रोकती नजरों से

पर सामने से . .!


रातों में जब सपने देखता

तुम्हें हमेशा पास देखता

जब मैं तुम्हारी आंखों में देखता

हाथ छुड़ाए भागती

पर सामने से . .!


मैं पसंद कुछ पर्व करता

मिलती मंदिर में सामने से

नजरों ही नजरों में बातें कर ,

इशारों में ही चुम लेती

पर सामने से . .!!


देखती हो तो सामने से आओ

लहराती जुल्फों के साथ सामने से आओ ।



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