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Geeta Upadhyay

Tragedy

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Geeta Upadhyay

Tragedy

रविवार वाला अखबार

रविवार वाला अखबार

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घर के आंगन में

गिरते ही

पापा का उठाकर उसे

बैठकर सोफे पर

एकटक पढ़ना

तभी पड़ोस के शर्मा जी का आना

दो मिनट कहकर

दो घंटे में लौटाना


एक उत्सुकता जिज्ञासा

आज क्या है खास

पहले मुझे मिल जाए काश

कुछ फिल्मी खबरों पहेलियों कार्टून

और कहानियों वाला पन्ना

हम बच्चों का उसी के लिए मचलना


पहले हम पढ़ेंगे यह कहकर झगड़ना

मिलते ही चुटकुले

जोर-जोर से पढ़ कर मुस्कुराना

अंतर छांटकर अपनी बुद्धिमता

का पता लगाना

छीन कर भैया का झट से ले जाना

फट जाएगा तो पिटोगे वाली डांट खाना


मम्मी को भी साप्ताहिक भविष्य सुनाना

साथियों आज भी होता है

उसकी यादों का प्रहार भुलाए नहीं

भूलता वह


 


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