रुसवाई है
रुसवाई है
लिख रही हूँ अफसाना,
जिंदगी के मुकाम का..
कुछ खट्टी मीठी यादें,
कुछ और नहीं बस बातें...
जिस विश्वास पर दुनिया बनाई थी,
वो मुट्ठी से फिसलती रेत आई थी..
उसकी जिंदगी का हर गम मेरी बेवफाई है,
वो नशे में नहीं उसकी आँखों में रुसवाई है..