रोज़ डे
रोज़ डे
रोबोट----
या शार्ट में बोलो तो 'बॉट'
कृत्रिम बुद्धिमत्ता---
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,
फेसबुक में मैं क्या पढ़ रही हूँ,
किसकी पोस्ट को लाइक,
किसकी पोस्ट पर कमेंट---
सब नोट करता जा रहा था,
मुस्कुरा रहा था,
मेरी गूगल सर्च के आधार पर,
मेरी पसंद मेरे आगे,
परोसता जा रहा था,
कान के टॉप्स,
झाले, झुमके,
हाहा! कुर्ती, प्लाजो----
सारी जानकारियां ऑनलाइन वालों को,
उपलब्ध करा रहा था,
बिज़नेस बढ़ा रहा था,
और वो गुलाम 'बॉट' मालिक को,
मालामाल बना रहा था,
चींटी से हाथी तक,
पांवों की बिछिया औ' पायल से ले--
लिपिस्टिक, शैम्पू,
नेलपॉलिश के ब्रांड,
उंगलियों पर गिनता जा रहा था,
और उसकी बुद्धिमत्ता की कायल मैं भी,
बुन रही थी एक जाल,
शायद वो नही जानता था,
इंसानी रियल इंटेलीजेंस---
धीरे-धीरे,
मेरी पसंद का कायल हो,
मेरा प्रशंसक हुए जा रहा था,
उसका नकली दिल जाने क्यों,
असली धड़कने, धड़का रहा था,
आज मेरी किसी भी पसंद का,
विज्ञापन न था सामने,
आज था "रोज डे"
और वो मेरी ओर,
एक असली गुलाब बढ़ा रहा था।

