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Surendra kumar singh

Romance

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Surendra kumar singh

Romance

रोमांस चल रहा है

रोमांस चल रहा है

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अजनवी थे

आंख मिली

एक हो गये मिल गये

आपस में


या याद में थे मिल गये

चलती हुयी कहानियों के मध्य

रोमांस चल रहा है

अरमान मचल रहे हैं

छू लो तो रोमांचित हो उठोगे


देख लो तो रोमांस हो जाएगा

सुन लो तो प्रेम हो जाएगा

पढ़ लो तो नीद खुल जायेगी

महसूस कर लो तो खो जाओगे हममे

हमसफ़र हो जाओगे हमारे


हिस्सा बन जाओगे

हमारे चलते हुये रोमांस का

ये नए किस्म का रोमांस है

नये किस्म के आदमी का

क्योंकि उसमें मैं हूँ

मुझमे वो है,


खुली आंख से न दिखने वाली मैं

और दर बदर भटकता हुआ

बन्द आंखों से सब कुछ देखता हुआ वो।

सापों की सुरीली आवाज

बिच्छुओं के नशीले डंक

और निगल जाने की नियति से

घात लगाए अजगरों के बीच,


इस विश्वास के अंधविश्वास में कि

रचनाकार अपनी रचना को

नष्ट नहीं होने देता

हमारा रोमांस चल रहा है।


यकीनन याद में थे

फिर मिल गये है

रूबरू हैं समय से तुमसे,

दुनिया से दुनिया के निजाम से

प्रकृति से और उसके विधान से

रोमांस करते हुये

मुस्कराते हुये

गिरते हुये सम्भलते हुये

एक दूसरे में खोये खोये।


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