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नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

Crime Inspirational

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नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

Crime Inspirational

रंगोत्सव होली

रंगोत्सव होली

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होरी  खेलें  तीन तरह की, कौ तेरे मन  भाय

मिलन करावै साँवरिया  ते, बू   मोहे  हरषाय

पहली होरी नेह  सुवासित, काटत उर कौ मैल

रंग डारौ मानव कूँ मानव, मिले शान्त सुख गैल

ब्रज आँगन की यही लाडली, प्रेम अमिय बरसाय


होरी  खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय

मिलन करावै साँवरिया ते, बू  मोहे   हरषाय


दूजी होरी कसक ठसक की, मन की हरती पीर

कायर कौ शृंगार  करे या, ओटक  छोड़ें  तीर

पटक झटक या दिना करें वे, और दिना ना पाय

होरी  खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय

मिलन करावै साँवरिया ते, बू  मोहे हरषाय


तीजी होरी काम व्यसन की, छेड़छाड़  की  छूट

नारि दिखे, तौ नंगौ नाच हो, लै मदिरा  की घूँट

रोक-टोक जो करे पिटत बू, लेओ भलै आजमाय

होरी  खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय

मिलन करावै साँवरिया ते, बू  मोहे हरषाय।


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