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नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

Inspirational

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नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

Inspirational

सम्बन्ध

सम्बन्ध

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दोहा

भोर सुहानी  कर  गया,सजनी का संदेश ।

विरह करे मन को व्यथित,मान, बसे परदेश ।।

छंद

झूठा तेरा प्रेम है, और झूठा ये सम्बंध तेरा

झूठा यह दिखावा, घोर कलयुग आया है


किया विश्वास तेरा, झूठी कल्पना पे मन

जिसको  बसाया, वही  चैन को चुराया है


कौन घड़ी  जाने ये, अभिशाप लिये आई

देख विरह शोक ने मुझे विरही बनाया है


मंत्रणा पे मन की, विचार आत्मा ने कभी

किया “उत्कर्ष”  प्रेम परमात्मा को पाया।



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