सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
सुनलै सुनलै पुकार,
मैया एकहि गुहार ।
है कैं हँस पे सवार,
स्वर मेरे समार ।।
अच्छौ बुरौ रह्यौ का जग में,
तौ बिन कौन बताय
सूझ बूझ तौहि सों मइया,
मेधा मति कूँ पाय
भगवत भगत कौ मिलन कराकें,
रही जगत कूँ तार
रही जगत कूँ तार
सुनलै सुनलै पुकार
मइया एकहि गुहार
हैं कें हँस पे सवार
स्वर मेरे सँवार
धवल धारिणी, गिरा, शारदा,
विमला, तू ही वाणी है
महाकुशा, महाविद्या, भामा,
मइया तू कल्याणी है
भँवर बीच है मेरी किश्ती,
आकें पार उतार
आकें पार उतार
सुनलै सुनलै पुकार
सुनलै सुनलै पुकार
मइया एकहि गुहार
हैं कें हँस पे सवार
स्वर मेरे सँवार
