रंगबिरंगी दुनिया
रंगबिरंगी दुनिया
देखी है दुनिया
दुनियावालों के ढंग देखे हैं
कभी चापलूसी करते
कभी अकड़ दिखाते
लोगों के सब रंग देखे हैं।
बदल जाते हैं लोग
कुछ पैसों की ख़ातिर
कुछ ज़मीन के टुकड़ों की ख़ातिर
अपनों के जंग देखे हैं।
परेशानी में जूझते
अपनी इज़्ज़त बचाते भी बहुत देखे
तो वही उनकी परेशानियों को
उनके कर्म बताते बेशर्म भी देखे हैं।
देखें हैं दूसरों पर हँसने वाले
जो खुद को देवता समझते हैं
और फिर उन देवताओं को
बैठे उन कमीदारो के संग ही देखे हैं।
ऐसा नही कि देखें हो सिर्फ माँ बाप
अपने ही बच्चों से तृस्कृत
मैंने कुछ लोगों की ज़्यादतियों से
बहुत से बच्चे भी तंग देखे हैं।
धर्म के आधार पर बंटते इंसान
तो बहुत छोटी बात रह गई
धर्म के नाम पर बटते
भोजन पशु और रंग भी देखे हैं।
रंगबिरंगे लोग हैं
मौके माहौल के हिसाब से बदल जाते हैं
देखें हैं कभी दूसरों की ज़िंदगी में
बहुत दफा अपने संग भी देखे हैं।
मैंने इस दुनिया के रंग भी देखे हैं।