STORYMIRROR

Sonam Kewat

Drama

2  

Sonam Kewat

Drama

रंग मेरे पानी का

रंग मेरे पानी का

1 min
2.4K


जाने कई रंग छुपे हैं इस पानी में,

पर ये पानी तो अब भी बेरंग है।

एक बूँद बनकर जो सींप में जाए,

मोती बनकर ही बाहर आए।

फिर मोती से बने मालाओ के रंग है,

पर ये पानी तो अब भी बेरंग है।

बरस जाए गर तो हरियाली लाएँ,

नमी से सुंदर इंद्रधनुष बनाए।

बादलों मे बिखरे तभी सात रंग है,

ये पानी तो अब भी बेरंग है।

खुशियों में खुद आँखों से आँसू लाएँ,

गम में भी खुद ही बहता जाए।

जिंदगी में भरे नवतरंग है,

पर ये पानी तो अब भी बेरंग है।

किसी भी आकार में समाता जाए,

लाल रंग इसका लहू कहलाएँ।

गंगाजल से नदियों में भी तरंग है,

पर ये पानी तो अब भी बेरंग है।

जल जीवन है ये सभी कहते हैं,

इसे बचाते रहो ये हम कहते हैं।

बेच देते हैं लोग जब बोतल में बंद हैं,

ये पानी तो अब भी बेरंग है...।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama