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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

रखें जीवित आशा

रखें जीवित आशा

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जीवन के क्षितिज पर हम,

सदा ही रखें जीवित आशा।

सशक्त रखें निज मन को यूं,

झांके न मन में जरा सी निराशा।


मन को निराशा है निर्बल बनाती,

आशा हमारे मन की शक्ति बढ़ाती।

मन से भय रूपी तिमिर को मिटाती,

सदा उत्साह नूतन जगाती है आशा।


जीवन के क्षितिज पर हम,

सदा ही रखें जीवित आशा।

सशक्त रखें निज मन को यूं,

झांके न मन में जरा सी निराशा।


निराशा है जग में पराजय का मूल,

खिलाती है आशा सफलता के फूल।

आशा को तजने की न करिएगा भूल,

जो चाहें सफलता तो तज दें निराशा।


जीवन की क्षितिज पर हम,

सदा ही रखें जीवित आशा।

सशक्त रखें निज मन को यूं,

झांके न मन में जरा सी निराशा।


सतत् ही आशा रखकर निर्भय रहें हम,

जीवन-मौत सुख-दुख हॅंस के सहें हम।

अल्प सा विराम मृत्यु न इसका करें ग़म,

न हों निराश कभी जीवित सदा रखें आशा।


जीवन के क्षितिज पर हम,

सदा ही रखें जीवित आशा।

सशक्त रखें निज मन को यूं,

झांके न मन में जरा सी निराशा।


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