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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Romance

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Romance

रिवाज क्या है

रिवाज क्या है

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हम तो तुम्हे चाँद कहते हैं 

चांदनी बनकर भी 

तुम खुब लगती हो

इस चांदनी का नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है तो फ़िर 

चांदनी का रिवाज क्या है।


चाँद की चांदनी तुम 

इन शरबती आंखों और

रेशमी ज़ुल्फो का नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है तो फ़िर 

चांदनी का रिवाज क्या है।


मौसम-सी सुहानी 

महकते फूलो की रवानी 

कहते है तुम्हे परियो की रानी 

इन शरमाती हुई 

कहानी का नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है तो फ़िर 

चांदनी का रिवाज क्या है।


हसीनो से हसींन 

चाहत पर जानशीन 

कातिल मुस्कुराहट का

नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है तो फ़िर

चांदनी का रिवाज क्या है।


ना तुम समझोगी ना हम 

नेग-रिवाज मोहब्बत संग 

चहरे पर निशानी तिल 

इस नूरानी मोहब्बत का नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है तो फ़िर

चांदनी का रिवाज क्या है।


हम तो तुम्हे चाँद कहते है 

चांदनी बनकर भी 

तुम खूब लगती हो

इस चांदनी का नेग ले लो 


हम फ़िर भी कहेंगे 

जब चाँद है फ़िर 

तो चांदनी का रिवाज क्या है।


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