रिश्तों का कत्ल
रिश्तों का कत्ल
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प्यार का एहसास दिल से होता है,
निभाना रिश्तों का नाम होता है,
अपनों से गैरों से प्यार होता है,
प्यार कोई जरिया नहीं होता है,
प्यार खुद व खुद पैदा होता है
प्यार विश्वास की डोर से बंधता है,
जब कभी विश्वास खत्म होता है
तब रिश्तों का बेहरम कत्ल होता है,
मुजरिम बन जाते हैं वो लोग,
जिनके प्यार में दगा होता है।