रिश्ते होते हैं राहों से
रिश्ते होते हैं राहों से
राहों में चलते - चलते
कुछ ख्वाबों में पलते - पलते
बंध जाते हैं रिश्ते
अनजाने में अपनों से
बेगानों से
रिश्ते होते हैं राहों से
कभी सिमटते
कभी फैलते
कभी छूटते जाते पीछे
पेड़ों से
रिश्ते होते हैं राहों से
कुछ अनचाहे
कुछ अनजाने
कुछ बिन देखे ही टूटते
ख़्वाबों से
रिश्ते होते हैं राहों से
कुछ तंग गली से
कुछ बंद गली से
कुछ खुलते हैं जीवन में
गलियारों से
रिश्ते होते हैं राहों से
मिलते हैं
बिछड़ते हैं
किसी मोड़ पर थम जाते
चौराहों से
रिश्ते होते हैं राहों से
कुछ कहते हैं
कुछ सुनते हैं
दिल में बसते जाते हैं रूई के
फाहों से।
