रिश्ता सूरज और समंदर का
रिश्ता सूरज और समंदर का
न सूरज को रोक सका कोई
न समंदर को बांध सका कोई
तू किसका है ऐ सूरज
कहां है तेरा घर
तू किसकी है ऐ समंदर
कहां है तेरा घर
सूरज बिना किसी हिचक देता प्रकाश
समंदर बिना मोल भाव देती रत्न भंडार
सूरज से है प्राण इस धरती पर
समंदर से है प्राण रस इस धरती पर
सूरज तू तो समय का द्योतक
सूरज तू चलायमान निरंतर
समंदर तू तो लहरों का समावेश
समंदर तू अगाध गहरी
तुम दोनों इस मुक्त धरा के हो प्राचीनतम साथी
तुम दोनों हो कोटि सभ्यताओं के साक्षी।