मैं नदी हूँ तुम्हारी माँ जैसी हूँ सब कुछ सह चुप रहती हूँ। मैं नदी हूँ तुम्हारी माँ जैसी हूँ सब कुछ सह चुप रहती हूँ।
जो गर्व था कभी मातृभाषा का, लोगों में ऐसा अभिमान कहाँ ? जो गर्व था कभी मातृभाषा का, लोगों में ऐसा अभिमान कहाँ ?
इस मिट्टी में हरे भरे खेत लहराते हैं, खुली हवा में पक्षी विचरण करते चहचहाते हैं ! इस मिट्टी में हरे भरे खेत लहराते हैं, खुली हवा में पक्षी विचरण करते चहचहाते ह...
हे मातृ भूमि के सेनानी वीर रत्न , भयक्रांत काल में न छोड़ प्रयत्न। अग्नि पथ हो या ब हे मातृ भूमि के सेनानी वीर रत्न , भयक्रांत काल में न छोड़ प्रयत्न। अग्...
हाँ, अटल हो तुम देश के महान सपूत हो तुम । हाँ, अटल हो तुम देश के महान सपूत हो तुम ।
उनका सम्मान तो करना था इसलिए नेत्रदान तो करना था । उनका सम्मान तो करना था इसलिए नेत्रदान तो करना था ।