रेगिस्तान में खो गये
रेगिस्तान में खो गये
कंक्रीट के रुपहले रेगिस्तान में सब खोये
भौतिकता की मृगमरीचिका ,कैसे जोये?
स्नेहारिक्त दिल असंवेदी ,शुष्क हो गये
भावनाएं हो मृत,रेगिस्तान में खो से गये
ईश्वर ही मालिक अब इस रंगीन जहां का
हम कैसे बेगैरत,इंसानियत ही भूल गये?
चमन में पशु-पक्षी से गये-गुजरे हो गये
स्वार्थी बन ,भारतीय संस्कारिता भूल गये।