रे वसंत
रे वसंत
रे वसंत
उनको चंचल-चितवन सा पर दे
नभ-विहार हृदय में भर दे
कानन कुसुम सा पुष्पित कर दे
हे वसंत राज
नयन सुख पुष्प विहार हो
खग-वाणी से वृक्ष विहंस हो
कुमुद समान सुगंधित हो
ॠतुराज वसंत
मंद-मुस्कान फूलों में बिखरे
पवन-सुमन सुवासित हो
शशि-रवि भी, विहंगम हो
रे वसंत
उनकी भोहों को कमान बना दे
नैनो से रस छलका दे
अधर-पुष्पों सा लिपट जाने दे
हे वसंत
आलि से अलि मिला तू
मुख चन्द्रप्रभा सा कंचन कर दे
आतुर मन को शीतल कर दे।