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Kishore Kumar

Romance

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Kishore Kumar

Romance

रे वसंत

रे वसंत

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रे वसंत 

उनको चंचल-चितवन सा पर दे

नभ-विहार हृदय में भर दे 

कानन कुसुम सा पुष्पित कर दे 


हे वसंत राज

नयन सुख पुष्प विहार हो

खग-वाणी से वृक्ष विहंस हो

कुमुद समान सुगंधित हो


ॠतुराज वसंत 

मंद-मुस्कान फूलों में बिखरे 

पवन-सुमन सुवासित हो

शशि-रवि भी, विहंगम हो


रे वसंत 

उनकी भोहों को कमान बना दे

नैनो से रस छलका दे

अधर-पुष्पों सा लिपट जाने दे


हे वसंत 

आलि से अलि मिला तू

मुख चन्द्रप्रभा सा कंचन कर दे

आतुर मन को शीतल कर दे।


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