ॠतुराज वसंत
ॠतुराज वसंत
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पुलकित पुष्प, किसलय मन
शरद के बाद सुवासित हुआ चमन
देखो आया, ॠतुराज वसंत
वीणावादिनी, विद्या दायिनी
कंठ-सुमधुर वर दे
कि आई ॠतु वसंत
जयशंकर सा पुष्प खिले
कामायनी सा सुगंध मिले
फिर आया वही वसंत
निराला सुमन महका
परिमल, गीतिका कली से पुष्प हुआ
धरा पर आई नव वसंत
नव पल्लव, कोंपिल तना हुआ
हरित पत्ती, ह्रदय उमंग हुआ
वसंत में नव जीवन का संचार हुआ।