नव वसंत का स्वागत
नव वसंत का स्वागत
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मन कहीं जा कर रूका है
वो मिलन वासंती आई है
तरुवर पर नव पुलकित है
अरुणोदय के साथ वासंती है।
ॠत की रानी, राजा के संग
फिर उमंग भरी छायी है
मधुप, मधुरेश पान किया
अरुणेश संग धरा पर आई है।
रजनी बीती, उषा हुई
नभ नई किरण में नहाई है
पुष्प-गुच्छों का मधुर मिलन
ली वसंत ने अंगड़ाई है।
अपलक नयन, सुमन पर ठहरी
मुस्काती आपस लिपटी है
मदमाती सुगंध लिए
नव वसंत का स्वागत करती है।
