नव वसंत का स्वागत
नव वसंत का स्वागत
1 min
235
मन कहीं जा कर रूका है
वो मिलन वासंती आई है
तरुवर पर नव पुलकित है
अरुणोदय के साथ वासंती है।
ॠत की रानी, राजा के संग
फिर उमंग भरी छायी है
मधुप, मधुरेश पान किया
अरुणेश संग धरा पर आई है।
रजनी बीती, उषा हुई
नभ नई किरण में नहाई है
पुष्प-गुच्छों का मधुर मिलन
ली वसंत ने अंगड़ाई है।
अपलक नयन, सुमन पर ठहरी
मुस्काती आपस लिपटी है
मदमाती सुगंध लिए
नव वसंत का स्वागत करती है।