ॠतुराज के संग
ॠतुराज के संग
कामिनी, कंचन काया
वसंत को साथ में लाई
सुमधुरभाषिणी, कर्णप्रिया
ॠतुराज के संग आई ।
मुस्काती, मदमाती
नव वसंत पर सवार चली
काम नयन से
कर वसंत को मात चली ।
मंद-पवन सुगंधित गेसू
कर सुवासित हो चली
कानन-कुसुमित मुख से अपना
मोहित वसंत को कर चली ।
नूपुर भी छन-छन करती आई
झूम पुष्पों ने विहार किया
उनके आने की बेला में
ॠतुराज ने स्वागत गान किया ।

