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Amit Kumar

Romance

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Amit Kumar

Romance

रब

रब

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उस रब से

कैसा शिकवा

जिस रब ने

तुझसा महबूब दिया,

करना है उसका शुक्राना

जिसने हुस्न तुझे

बखूब दिया,

क्या रूप दिया

क्या दिया यौवन

मदमस्त मलंग सा

स्वरूप दिया,

तू भी गर

आईना देखे

खुद पर ही

फिदा हो जाएगा,

फिर न कहना

यह क्या हुआ

जब यह अक़्स 

खुदा हो जाएगा,

इससे पहले कि

तू खुदा हो चले

अपने ही आप का

मैं तुझसे इश्क़ की

इल्तिज़ा करता हूँ,

तू भी खुद से

प्यार कर,

बेशक़ उतना न कर

जितना मैं तुझे करता हूँ,

तेरे मुस्कुराने में

बरक़त है 

हम सब आशिक़ों की

तेरी यह मुस्कुराहट

दुआएं है

हम आशिक़ों की......।



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