रावण का सवाल
रावण का सवाल
जैसे ही हुई रावण को जलाने की तैयारी,
अट्टहास ही गर्जना सुनाई दी सबको भारी।
रावण का पुतला जोर से बोलने लगा,
भीड़ में लोगों को उसको बोलना खलने लगा।
रावण ने लोगों से किया एक सवाल,
आज भले हो जाने दो तुम इस बात पर बवाल।
सिया को मैंने एक बार चुराया
तुम मुझे हर साल जलाते हो,
सही मायने में आखिर राम बनकर
क्यों नहीं दिखाते हो।
मेरे यहां तो अशोक वाटिका में सिया थी महफूज,
तुम्हारे समाज में तो बहन बेटियां कहां है महफूज।
आए दिन उन पर दुराचार और दुष्कर्म हो रहे हैं,
तुम्हे नहीं पता लेकिन भगवान भी, यह देख कर रो रहे हैं।
सजा देनी है तो उनको दो जिन्होंने मेरा भी नाम है खराब किया,
मैंने तो सिया के सिवाय कभी किसी को नहीं हाथ लगाया।
हो सके तो इस बार दशहरा कुछ अलग ढंग से मनाओ
बाहर के रावण तुम बहुत जला चुके
पहले अपने अंदर के रावण को जलाओ।