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Sumit Mandhana

Tragedy Inspirational

4.5  

Sumit Mandhana

Tragedy Inspirational

" साहित्य से समाज तक "

" साहित्य से समाज तक "

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कल तक जो दो वक्त की रोटी को मोहताज थे,

आज वह सबको भरपेट खाना खिला रहे हैं।


कल तक नहीं देखता था कोई इनके ढाबे को,

आज वहां लोग मजे से लाईन लगा रहे है ।


कल तक वह रो रो कर अपने दुखड़े सुना रहे थे,

आज लोग उन्हें ढूंढते हुए ढाबे पर आ रहे हैं।


कल तक वह दिन भर ग्राहकों का इंतजार करते थे,

आज जोमैटो से लोग इनका खाना मंगा रहे हैं।


धन्य है वो शख्स जिन्होने इन्हें वायरल किया,

धन्य है वह लोग जिन्होंने भी इनका साथ दिया,


बूढ़े मां बाप को मिल गया फिर जीने का जरिया,

हम लोगों को भी इनकी पीड़ा से अवगत किया।


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