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Sumit Mandhana

Tragedy

4.0  

Sumit Mandhana

Tragedy

बेवफाई

बेवफाई

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230


तेरी बेवफाई का दर्द अब नहीं सहना चाहता हूं , 

सारी आवाम को मैं कुछ कहना चाहता हूं ।

ना बदला लेना चाहता हूं ना इंतकाम लेना चाहता हूं,

मुझे ठुकराने वाले को भी मैं खुश देखना चाहता हूं।

जख्म तू ने जो भी दिए उन्हें सीने में दबाना चाहता हूं,

अपने दर्द की दास्तां नहीं किसी को सुनाना चाहता हूं।

ना बदला लेना चाहता हूं ना इंतकाम लेना चाहता हूं,

मुझे ठुकराने वाले को भी मैं खुश देखना चाहता हूं।

तेरी गलियों से मैं अब दूर निकल जाना चाहता हू

तेरी यादों को हमेशा के लिये दफनाना चाहता हूं।

ना बदला लेना चाहता हूं ना इंतकाम लेना चाहता हूं,

मुझे ठुकराने वाले को भी मैं खुश देखना चाहता हूं।

मेरे प्यार को भी दिल से मिटा देना चाहता हू

तेरी बेवफाई को भी भूल जाना चाहता हूं।

ना बदला लेना चाहता हूं ना इंतकाम लेना चाहता हूं,

मुझे ठुकराने वाले को भी मैं खुश देखना चाहता हूं।


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