" पिता "
" पिता "


घने वृक्ष के समान पिता होते हैं,
इनके साये में परिवार पलते है,
सूरज का होते है ऐसा प्रकाश,
गम के बादलों को मिटा देते है ।
उनकी मौजुदगी में सब महफूज़ होते है,
किसी भी मुसीबत में पिता ही याद आते है,
माँ के साथ प्यार भरा संसार बसाकर,
परिवार में अपना फर्ज बखूबी निभाते है।
खुद भले एकदम सादगी से रहते है,
बच्चों को फिर भी अप-टू-डेट रखते हैं ,
परिवार में पिता ही सभी लोगो का ,
हर बात में पुरा ध्यान रखते है ।
जोड़कर जमा पूंजी आशियाना ब
नाते है,
बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करते है,
ख्वाहिशे सबकी पूरी करने के लिये,
पिता जी तोड़ मेहनत करते हैं ।
चेहरे पे ओज, मन में विश्वास रखते है,
हालात का सामना करने का साहस रखते है,
अपने होठों पर रख के मीठी मुस्कान,
हर समस्या को वे पल में सुलझाते है।
यहीं अंदाज हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता है,
मुशकिलाें का सामना करना बताता है,
पथ में आये अड़चने कितनी ही,
हरदम आगे बढ़ना सिखाता है ।
हरदम आगे बढ़ना सिखाता है।