तुम्हारी बातें जैसे
तुम्हारी बातें जैसे
तुम्हारी बातें जैसे मिश्री की डली,
मुंह में रखते ही घुल जाती ।
तुम्हारी बातें जैसे गुलाब की कली,
चहुँ ओर खुशबू फैल जाए।
तुम्हारी बातें जैसे मीठा शहद
हर कोई पाने को ललचाए।
तुम्हारी बातें जैसे की अमृत
समंदर में भी मिठास घोल जाए।