Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Goldi Mishra

Tragedy Others

3  

Goldi Mishra

Tragedy Others

रात

रात

1 min
175


 ना जाने कब शाम ढल गई,

ना जाने कब रात आ गई,

आज आँखों में नींद नहीं थी,

आज इन आँखों में एक अजीब सी शिकायत थी,

आज की रात बस जाग कर ही गुज़ार दी,

सारी रात बस कागज़ कलम थामे गुज़ार दी,

सारा दिन ये शहर एक अजीब से शोर में था डूबा,

वहीं रात को एक गहरी खामोशी में मिला डूबा,

सारी रात यूं ही बीत जाती है,

कुछ आस कुछ इंतज़ार में बीत जाती है,

ना जाने कैसे ये सवाल है,

ना जाने कहां उनके जवाब है,

ये रात बड़ी अजीब है,

इस रात की तनहाई भी अजीब है,

काश ये अंधेरा ढल जाए,

कहीं से उजाला आ जाए,

डर अंधेरे से नहीं,

चाहत सिर्फ उजालों की नहीं,

ज़िन्दगी में अंधेरे ना हो तो

उजालों के मायने क्या होंगे,

जो ज़िन्दगी में हार ना मिले

तो जीत के मायने क्या होंगे,

हम हर पल को जीना सीख रहे है,

हर पल में खोए सी ज़िन्दगी को ढूंढ रहे है,

ये रात भी बीत जाएगी,

ये तनहाई ये खामोशी भी बीत ही जाएगी,

         



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy