रास्ते
रास्ते


छोटी सी उम्र नन्हे से सपने हैं
पहुच चुका हूँ वहाँ जहाँ
कदम कदम पर खतरे हैं
ये रास्ते वो रास्ते हैं
जहाँ रास्तो में गड्डे हैं।
ऊपर है आसमाँ
जहाँ काटने को भँवरे हैं
यहाँ नदियों में है धूल
और पीने को कतरे हैं।
वो रहते है वहाँ
जहाँ पेड़ों की कब्रें हैं,
तू हरा है वो सन्तरी
बस ये ही धुन ये रटते हैं।
धर्म धर्म करके ये
आपस मे ही लड़ते हैं
शिक्षा की सीडी को
पैरो से कुचलते हैं।
नन्हे नन्हे सपनों की
उम्मीदों पर हँसते हैं
लगता है जैसे
ये जन्मों से भूखे हैं।
कल्पना हो या सुनीता
सबके पैर पकड़ ये रखते हैं
ये भूखे है दिल के रूखे हैं
विशाल है आकर
पर जड़ों से सूखे हैं।
छोटी सी उम्र नन्हे से सपने हैं
पहुच चुका हूं वहाँ
जहाँ कुपोषित है कानून
और लोग सभी अंधे हैं।