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Arunima Bahadur

Tragedy

3  

Arunima Bahadur

Tragedy

जरा तो सोचो

जरा तो सोचो

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जरा तो सोचो 

कैसा आया वक्त हे मौला

बंद हैं संस्कारशाला 

पर खुला हुआ है मधुशाला 

टूट गया हैं नशा ये सारा 

पीने चला फिर मतवाला

क्यो खोल दिया फिर 

अपराधों का ये झाला ताला 

कुविकसित बुद्धि 

भ्रमित दृष्टि दे

दे पुनः ज्ञान की माला 

कैसी दुखद सी है स्थिति 

की धारण अज्ञान की माला 

भ्रमितो का यह बवंडर 

बना रहा है गड़बड़झाला 

एक पल रुक जरा तो सोचो 

कहा जा रहा जन धन सारा 

आपदा की इस घड़ी में 

कष्ट बढ़ाती हैं मधुशाला 

कैसा वक्त आया है मौला 

बंद हैं संस्कार शाला 

पर खुला हुआ है मधुशाला!


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