नन्हे दीये
नन्हे दीये


कुछ अजीब सी हो गयी हैं हवाएं
पत्र उड़ रहे हैं दिन के जहर में
कुछ खुशियों को दबाकर अपने में
शहर घूम रहे हैं, बिना अपनों के
कभी तो नजारे बदल रहे होंगे
जब जिएंगे शिक्षक संग नन्हे दीये।
कुछ अजीब सी हो गयी हैं हवाएं
पत्र उड़ रहे हैं दिन के जहर में
कुछ खुशियों को दबाकर अपने में
शहर घूम रहे हैं, बिना अपनों के
कभी तो नजारे बदल रहे होंगे
जब जिएंगे शिक्षक संग नन्हे दीये।