कौन कहता है तुम आजाद नहीं
कौन कहता है तुम आजाद नहीं
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ऐसा पहले कभी हुआ नहीं
२०२० जैसा गुजरा नहीं
स्वतंत्र बनने की लालसा में खुद को
लॉक डाउन कर के रह गए
जिंदगी के दो पहलु के मायने
पलक झपकते ही बदल गए
अब न है किसी का इंतज़ार
न कोई ख्वाइश,न कोई वेतन
न कोई गम,न कोई सितम
न मोहमाया के पिंजरे का दर
हर रंग बने फीके और बेअसर
मजदूर पलायन कर गए
रेलगाड़ियां पटरी से उतर गयी
काम धंदे ठप्प हो गए
इंसान सभी बेबस बन गए
ये ख़ुशी थी या कुदरत का कहर
स्वतंत्र हो जाओ तुम
न किसी से डरो तुम
इस मिट्टी की खुसबू
दर्द और रुदन से लाल हो गयी
हमारा ह्रदय प्यार के दो बोल से
मालामाल हो गई
खुद को किया वक़्त से स्वतंत्र
अपने मन को स्वच्छ बनाया
प्रकिति के भवंडर में अहंकार
और पाप बह गए
मिसिलों की गुंजन से पड़ौसी देश
एक दूसरे से ताकतवर बन गए
आतंकवाद का बिगुल फट गया
जल,थल और वायु के वीर सिपाही
कुछ कर गुजरे,कुछ धुल चटाये
महामारी को ख़तम करने की खायी कसम
डॉक्टरों और पुलिस कर्मचारियों
की हिम्मत को किया सलाम
डटे रहो,एकजुट हो जाओ
सुनो तुम अब नया शंखनाद
कह रहे है ये पंछियां और पतंगे
तुम हो स्वतंत्र,तुम हो आजाद!