स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
मेरा स्वतंत्र हुआ था भारत नारी कहां स्वतंत्र हुई ?
आज भी कच्ची पक्की दीवारें उसके लिए बुलंद रही
भारत में यह कैसी आजादी, यह नारी तो गुलाम रही
बेजुबान और बेचारी सी वो मजबूरी में हमेशा कैद रही
कहीं हुकूमत कहीं अत्याचार बलात्कारी तो
कभी असहनीय पीड़ा वाले शब्दों के आघात।