अपमान
अपमान
स्त्री, कितना सहती है,
सहनशक्ति की पराकाष्ठा तक
आज देखा मैने पति/पत्नी को झगड़ते हुए,
गलती चाहे किसी की हो,
मानसिक रूप से बिखरती स्त्री ही है,
घुटती रहती है अंदर ही अंदर,
हर साँस पर सिसकती है
मुश्किलों से लड़ते हुए भी अपने
हर कर्त्तव्य तब भी निभाती है
अंतर्मन की आह को छुपाती है दुनिया से।
सब कुछ करती है अपने परिवार के लिए ,
पर मिलता क्या है ? अपमान !
