वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा
वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा


वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा,
कहाँ, कब और कैसे पता नही।
शायद कल्पनाओं से परे इक नयी दुनिया में,
उस दुनिया की शाम के हसीन लम्हो में,
वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा।
धूप में छाया, छाया में परछाईं बनकर,
अंधेरे में उम्मीद की किरण की लौ बनकर,
तेरे रंगों में घुलता रहूँगा,
सीप में मोती, मोतीयो को धागो में पिरोकर,
तेरी हर उन यादों को तकिया बनाकर,
हमेशा उन्हें सहेजता रहूँगा,
पता नहीं कब, कहाँ और कैसे,
वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा।
दरिया की लहरों मे ना सही किनारों में,
अँधेरी रातों मे ना सही चाँदनी रातों में,
टहलते हुए तुम्हारा हाथ थाम लूँगा,
ज्यादा कुछ नहीं जानता इतना ही जानता हूँ,
तुम्हारा नाम मेरे लबों पर मुस्कुराहट ला देता है,
मैं उन लम्हो को चुनकर समेट लूँगा,
पता नही कब, कहाँ और कैसै,
वादा है तुमसे फिर मिलूंगा।
वादा है तुमसे मैं फिर मिलूंगा