लम्हा एक ऐसा
लम्हा एक ऐसा
लम्हा एक ऐसा,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है
खाली हाथ ही तो आये थे यहाँ हम
मगर दोस्ती साथ लेकर जाना है
न कोई कश्ती थी न कोई किनारा था
२-४ दोस्त थे और आखिरी बेंच ठिकाना था
कॉलेज के पहले दिन के परिचय से
आज अंतिम बार गले लगना है
ना जाने किस मोड़ पे होगी मुलाकात
बिना दोस्तों के भी रूबरू होना है
लम्हा एक ऐसा
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना था।
९ बजे उठकर कॉलेज, असाइनमेंट भी तो
दिखाना है
वही बोरिंग लेक्चर सुनकर,मास बंक भी तो
करवाना है
चाय की चुस्कियों से लेकर सुट्टा मारना
फिर वही नेस्त्ले की मैग्गी खाकर सो जाना है
फिर शाम होते ही सभी का एक साथ मिलना
हँसी ठहाकों से फिर महफ़िल भी साजना है
लम्हा एक ऐसा ,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है
दूसरों की गर्लफ्रेंड को भाभी कहकर छेड़ना
और अपने जूनियरों पर भी तो ट्राय मारना है
लेक्चर में अलग अलग आवाज़ में बोलना
सर आज बहुत पढ़ लिया कहकर टीचर को
पटाना है
प्रोजेक्ट और असाइनमेंट के लिए भागना और
फिर नेट से ही डाउनलोड करके दिखाना है
लम्हा एक ऐसा ,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है।
अधूरी रह गयी लव स्टोरी को आज कहना भी है
भाई कटेगा कहकर दोस्तों ने साथ निभाना भी है
बिना गाली के दिन की शुरुआत नहीं हुई
भाई सुट्टा सुर्ती कुछ है तो दे कहकर जाना भी तो है
लम्हा एक ऐसा ,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है ।
ग्रुप स्टडी के नाम पर होने वाली पढ़ाई
बस भाई लास्ट जोन बचा है कहकर एक बार
पब्जी भी खेलना है
रात भर जाग कर सुबह एग्जाम देने भी जाना है
एग्जाम जाने से पहले पर्चो को सही से छुपाना
अगर पेपर में नहीं आया तो चबा के फेंकना भी है
लम्हा एक ऐसा ,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है ।
आखिर आ ही गया वो लम्हा जिसका
कभी इंतज़ार नहीं था
पूरे साल भर दिन नहीं गुज़रे ,
मगर आज गुज़र जाना है
बहुत कुछ था कहने को मगर
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
कुछ अधूरी रातें कुछ अधूरी बातें
समय फिसले जा रहा है
मिलेंगे फिर कभी किसी मोड़ पे यु ही
फिर मिलेंगे फिर दोस्ती होगी फिर बातें होंगी
यूं ही ज़िन्दगी के फ़लसफ़े में
तमाम यादें समेटे कर ले जाना है
लम्हा एक ऐसा ,
जब अपने कॉलेज को छोड़ कर जाना है।
खाली हाथ ही तो आये थे यहाँ हम
मगर दोस्ती साथ लेकर जाना है