Dr Ranjana Verma

Drama

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Dr Ranjana Verma

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राष्ट्र के लिये विनय

राष्ट्र के लिये विनय

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आज स्वतंत्र राष्ट्र की जग के सागर में डगमग नैया

महंगाई के रक्त बीज का नाश करो अंबे मैया।


भ्रष्टाचार शुम्भ सा उद्धत 

द्वार द्वार पर डोल रहा,

और अराजकता निशुंभ 

हिंसा की गांठे खोल रहा।


अनाचार का नंगा नाटक खेल रहे दोनों भैया

महंगाई के रक्त बीज का नाश करो अंबे मैया।


तरस रहे हैं भूखे बच्चे 

बस मुट्ठी भर दाने को।

बेच रही हैं माँ बहनें तन 

शिशू की भूख मिटाने को।


लाज छिपाने को गलियों में भटक रही भारत मैया

महंगाई के रक्त बीज का नाश करो अंबे मैया।


हाथ सभी के पास किंतु 

करने को कोई काम नहीं।

भूखे पेट धँसी आंखों को 

मिलता है आराम नहीं।


भक्तजनों को निगल गया पापी राक्षस सा रुपैया

महंगाई के रक्त बीज का नाश करो अंबे मैया।


चिर जागृत चिन्मयी शक्ति माँ

हम को कैसे भूल गयी ?

योग्य तुम्हारे थी जो माला 

शत्रु कंठ मे झूल गयी।


त्रस्त शत्रु को करो हमें दो आँचल की शीतल छैया

महंगाई के रक्त बीज का नाश करो अंबे मैया।


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