राजा और सभा
राजा और सभा
राजा और सभा कल भी मूक बधीर थे
ये आज भी मूक बधीर है ।
कल भी नारी शर्मसार थी
आज भी नारी शर्मसार है
वो कल भी अपमानित थी
वो आज भी अपमानित है ।
राजा और सभा कल भी मूक बधिर थे
ये आज भी मूक बधीर है ।
रानी कैकेई से लेकर रानी द्रौपदी तक
कल की पैदा हुई गुडिया से लेकर आज की निर्भया तक
कल की नन्ही परी से लेकर आज की दादी मां तक
ये तार तार होती रही ये ब्लातकार का शिकार होती रही ।
राजा और सभा कल भी मूक बधीर थे
ये आज भी मूक बधीर है।