ओ रे पिता
ओ रे पिता
ओ रे पिता, मैं तो तुझ से बनी हूँ
हाथ पकड़कर
तुम्हारे साथ चली हूँ
अपनी ऐ जान, मैंने
तुझ मे बसाई है
कहने से पहले मैंने, हर
चीज अपने पास ही पाई है
मेरा अस्तित्व तुम, मैं तो
बस तुम्हारी परछाई हूँ
मेरा जीवन तुम, मैं तो बस
छोटा सा हिस्सा बन पाई हूँ
कर्ज तुम्हारा सौ जनम
में भी उतर न पाए
हर जन्म मेरा
तुम्हारे ही नाम हो जाए।
