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SURYAKANT MAJALKAR

Classics

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SURYAKANT MAJALKAR

Classics

बिख़रे दिल

बिख़रे दिल

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आशिकों की गली है,

कदम आहिस्ते आहिस्ते रखना।


फूलों की जगह

दिल बिखरे हैं रास्ते पर।


कोई तेरे इंतजार में

नज़रें बिछाये बैठा है।


तिनका उठाने की हिम्मत नहीं

वो तन फुलाये बैठा है।


खिड़की पर कोई

बिना आँसू दिल रुलाये बैठा है।


कोई कलम पुरानी और काग़ज पर

कहानी लिखने बैठा है।


हुस्न और इश्क के इस रास्ते पर हर कोई

अपना अस्तित्व खोकर बैठा है।


मंजिल पाये कोई,

कोई जिंदगी शमशान बनाये बैठा है।


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