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SURYAKANT MAJALKAR

Romance Fantasy

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SURYAKANT MAJALKAR

Romance Fantasy

गोरी का सपना

गोरी का सपना

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आज पनघट ना जाना गोरीये,

सपना सुहाना ना बुनना गोरीये,

शाम तोहे सतावेगा, नहीं आवेगा,

इसके बहाने सदा जाना गोरीये,

नटखट ना तोहरा शाम गोरीये,

संदेशा झूठा समझ आज गोरीये,

तू सुधबुध ना खो के बैठ गोरीये,

सपना सुहाना ना बुनना गोरीये,

गोरी ना सुनें किसी की बात,

खुलीं नज़र ढूंढे साजन अवनी,

बंदे आँखें होंठ हँसत अकस्मात,

सपनों ही बीते जीवन गोरींये,

तू रोज़ पनघट पर जाना गोरीये।


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