Preeti Praveen

Classics

5.0  

Preeti Praveen

Classics

बरखा आई

बरखा आई

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धरती को दी एक निशानी अभी अभी

बादल लेकर आया पानी अभी अभी।


मौसम ने जो बातें मानी अभी अभी

छमछम आई बरखा रानी अभी अभी।


तपता गुलशन सारा महक उठा है,

नदियों में फिर आई रवानी अभी अभी।


कसक मिटी है इन सूखी रातों की,

पंछी गाते सुबह सुहानी अभी अभी।


"प्रीति" जगी है दिल का मौसम बोल उठा,

गीत ग़ज़ल लिखी कहानी अभी अभी।


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