गीत - हे री सखी मोहे पीर भाई
गीत - हे री सखी मोहे पीर भाई
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हे री सखी मोहे पीर भई
मैं कासे कहूँ मोहे पीर भई
हे री सखी..............।।
पीर कहन माई के गई
माई की व्यथा मैं देख भई
अकुलान लगी बौरान लगी
मैं डोलत-डोलत आप फिरी
हे री सखी...............।।
पीर कहन दिदिया के गई
दिदिया की दशा मैं देख भई
कुम्हलान लगी मुरझान लगी
मैं रेंगत-रेंगत आप फिरी
हे री सखी................।।
पीर कहन सख़ियन के गई
सख़ियन की दशा मैं देख भई
मरजान लगी विषघात लगी
मैं टूटत-फूटत मिटन लगी
हे री सखी.................।।