बिसरे पलों से मिलना
बिसरे पलों से मिलना
बारिश की बूँदों में यादों का घुलना
जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना।
वो बच्चों को देख बच्च्पन को मचलना
कागज़ की कश्ती डुबो दोस्तों को छलना
कभी छपाक छपाक चलना
तो कभी कीचड़ में फिसलकर संभलना।
बारिश की बूँदों में यादों का घुलना
जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना
वो पहली बारिश में बाइक पर निकलना
भीगे दिस्तों को चाय की टपरी पर मिलना।
उसके घर के बाहर जा हॉर्न बजाना
और उसकी मम्मी से डांट खाना
पर कहाँ मानता था ये दिल दीवाना।
बारिश की बूँदों में यादों का घुलना
जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना
वो सर्द बारिश में बॉलकोनी वाली डेट प्लान करना
उसके हाथों के पकवानों से घर का महकना।
हक़ जताती उन नजरों का झुक कर मिलना
जैसे मिट्टी की सौंधी खुशबू संग उसका खिलना
बारिश की बूँदों में यादों का घुलना
जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना।