Nirmal Jain
Classics
सब हैं मौन
गरीबों के दर्द को
सुनता कौन
न कोई रुवाब
फटेहाल ज़िन्दगी
न कोई ख़्वाब
आँखे है नम
वो नंगा भूखा प्यासा
ख़ुशी या ग़म
टूटती आस
तकदीर के आगे
बना है दास
सत्ता का मद
वोटों की सियासत
घटता कद।
गरीब के दर्द ...
बरसो मेघा रे
मन है चंगा
सूखता नीर
हाथों में हाथ
माँ है महान
हाइकु पंच
अदब से अपनी मोहब्बत पर गर्व करता देखे। अदब से अपनी मोहब्बत पर गर्व करता देखे।
तो मिल ही जायेगी वो तुम्हें, बस इतनी सी बात पे मरने जा रहे हो। तो मिल ही जायेगी वो तुम्हें, बस इतनी सी बात पे मरने जा रहे हो।
नवांकुरों में नित्य राष्ट्रभक्ति का प्रसार हो। नवांकुरों में नित्य राष्ट्रभक्ति का प्रसार हो।
मासूम चेहरा लिए अक्सर झूठ बोल जाती है वो, उसकी यही अदा मुझे अच्छी लगा करती है। मासूम चेहरा लिए अक्सर झूठ बोल जाती है वो, उसकी यही अदा मुझे अच्छी लगा करती ह...
क्या यही हिन्दुस्तान, ये कहाँ आ गए हम। क्या यही हिन्दुस्तान, ये कहाँ आ गए हम।
मिलें गर हमें कुछ गलत सूचनाएं, अफवाह बनने से इन्हें हम बचाएं। मिलें गर हमें कुछ गलत सूचनाएं, अफवाह बनने से इन्हें हम बचाएं।
बड़े -बड़े ख्वाबों में सिसकती है जिन्दगी। सांसें है संगीत तो सरगम है जिंदगी बड़े -बड़े ख्वाबों में सिसकती है जिन्दगी। सांसें है संगीत तो सरगम है जिंदगी
पर कुछ लोगों को करना है अपनी मनमानी, जैसे फूंक से उड़ाना है, पल दो पल की ज़िन्दगी ! पर कुछ लोगों को करना है अपनी मनमानी, जैसे फूंक से उड़ाना है, पल दो पल की ज़िन...
वक्त ही नहीं अब किसी से मौज मस्ती करने का, ये महफिले अब पहले की तरह सजती नहीं। वक्त ही नहीं अब किसी से मौज मस्ती करने का, ये महफिले अब पहले की तरह सजती नहीं...
पछताओगे, पछताओगे, पछताते ही रह जाओगे "उल्लास” चुना यदि अपराधी, कैसे उस को सह पाओगे। पछताओगे, पछताओगे, पछताते ही रह जाओगे "उल्लास” चुना यदि अपराधी, कैसे उस को ...
उस धर्म के बुद्धिजीवी वर्ग का हैं। धर्म के साथ कर्म का भी वर्ग है। उस धर्म के बुद्धिजीवी वर्ग का हैं। धर्म के साथ कर्म का भी वर्ग है।
सद्बुद्धि ज्योत सदा जलाएँ, ज्ञान का प्रकाश सदा झिलमिला रहा।। सद्बुद्धि ज्योत सदा जलाएँ, ज्ञान का प्रकाश सदा झिलमिला रहा।।
और सपने सच होते हुए नजर आते हैं, नजर आते हैं, नजर आते हैं.......। और सपने सच होते हुए नजर आते हैं, नजर आते हैं, नजर आते हैं.......।
करें गणेश देव वंदन जनवरी माह अभिनंदन। करें गणेश देव वंदन जनवरी माह अभिनंदन।
सृष्टि और दृष्टि लिये स्वाभिमान के डगर की तलाश है। सृष्टि और दृष्टि लिये स्वाभिमान के डगर की तलाश है।
घोंट देती हैं अपनी बेटियों के ख्वाहिशों का गला बड़ी बेदर्दी से। घोंट देती हैं अपनी बेटियों के ख्वाहिशों का गला बड़ी बेदर्दी से।
सफलता की तलाश करना मानवीय प्रवृत्ति है। सफलता की तलाश करना मानवीय प्रवृत्ति है।
जी करता, मन बसता, छोड़ के सारे काम हमारे, बस जाऊँ मैं नदी किनारे। जी करता, मन बसता, छोड़ के सारे काम हमारे, बस जाऊँ मैं नदी किनारे।
मत डर ज़िन्दगी है हर मुश्किलों का सामना तो कर। मत डर ज़िन्दगी है हर मुश्किलों का सामना तो कर।
है हँसने की वजह सबकी नाम है उसका नारी। है हँसने की वजह सबकी नाम है उसका नारी।