गरीब के दर्द को
गरीब के दर्द को
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सब हैं मौन
गरीबों के दर्द को
सुनता कौन
न कोई रुवाब
फटेहाल ज़िन्दगी
न कोई ख़्वाब
आँखे है नम
वो नंगा भूखा प्यासा
ख़ुशी या ग़म
टूटती आस
तकदीर के आगे
बना है दास
सत्ता का मद
वोटों की सियासत
घटता कद।
सब हैं मौन
गरीबों के दर्द को
सुनता कौन
न कोई रुवाब
फटेहाल ज़िन्दगी
न कोई ख़्वाब
आँखे है नम
वो नंगा भूखा प्यासा
ख़ुशी या ग़म
टूटती आस
तकदीर के आगे
बना है दास
सत्ता का मद
वोटों की सियासत
घटता कद।