Nirmal Jain
Inspirational
हाथों में हाथ
जीवन भर रहे
सबका साथ
साथ छूटे ना
अटूट हो बंधन
कोई रूठे ना
पूरे हो ख़्वाब
दुनिया को दे सके
हम ज़वाब
दिल में प्यार
नफ़रत छोड़ तू
है इकरार
रहे मिठास
मन में नहीं आये
कोई खटास।
गरीब के दर्द ...
बरसो मेघा रे
मन है चंगा
सूखता नीर
माँ है महान
हाइकु पंच
आगे वाले परिंदों को हार का एहसास मत कराना आगे वाले परिंदों को हार का एहसास मत कराना
लाचार नहीं कमज़ोर नहीं हूँ अबला नहीं मैं अब सबला हूँ लाचार नहीं कमज़ोर नहीं हूँ अबला नहीं मैं अब सबला हूँ
कभी हँसी तो कभी अनुशासन है पिता कभी मौन तो कभी भाषण है पिता कभी हँसी तो कभी अनुशासन है पिता कभी मौन तो कभी भाषण है पिता
जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई
काला टीका आज भी माँ लगाती है, आज भी खाना अपने हाथों से खिलाती है काला टीका आज भी माँ लगाती है, आज भी खाना अपने हाथों से खिलाती है
सौहार्द टपके इंसानों की बोली में, क्या रखा है मित्रों, बारूद व गोली में सौहार्द टपके इंसानों की बोली में, क्या रखा है मित्रों, बारूद व गोली में
पुलकित हो गये तन-मन सजा चेहरे पर रंगों का नूर है पुलकित हो गये तन-मन सजा चेहरे पर रंगों का नूर है
सब धर्मों के रँग से ये फाल्गुन सजेगा , अब होली में किसी का ना दिल जलेगा , सब धर्मों के रँग से ये फाल्गुन सजेगा , अब होली में किसी का ना दिल जलेगा ,
संघर्षों से हमको पाला हर मुसीबत को टाला बिन खाए पहले मुझे खिलाती थी संघर्षों से हमको पाला हर मुसीबत को टाला बिन खाए पहले मुझे खिलाती थी
नीला पीला हरा गुलाबी, हम सारे रंग उड़ाते हैं कभी गाल कभी माथे पर, अपना रंग लगाते हैं नीला पीला हरा गुलाबी, हम सारे रंग उड़ाते हैं कभी गाल कभी माथे पर, अपन...
तब तू अपना समय बनाने को कमर कस रहा होगा। तब तू अपना समय बनाने को कमर कस रहा होगा।
मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता है कठिन, मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता है कठिन,
दरार तो जरुरी है, नसीब में बहार को लेने के लिए। दरार तो जरुरी है, नसीब में बहार को लेने के लिए।
पिता नीरद है गगन की, पिता धारा है जीवन की। पिता नीरद है गगन की, पिता धारा है जीवन की।
यूँ ही चलते रहेंगे साथ हम अंतिम सांस तक। यूँ ही चलते रहेंगे साथ हम अंतिम सांस तक।
सुख दुख बांटे इक दूजे का, इसलिए त्यौहारों की परम्परा बनाई। सुख दुख बांटे इक दूजे का, इसलिए त्यौहारों की परम्परा बनाई।
जब केहु ललकारे देश के जवनवा मारी दुशमनवा उनकर हरी लेले परनवा जब केहु ललकारे देश के जवनवा मारी दुशमनवा उनकर हरी लेले परनवा
न धीरज खोना न धीरज खोना
इस प्यार का रंग हो ऐसा, नफरत इसको उतार ना पाए। इस प्यार का रंग हो ऐसा, नफरत इसको उतार ना पाए।
दोस्ती का रिश्ता भी क्या कमाल करता है पल भर में ही आप को तू बना देता है दोस्ती का रिश्ता भी क्या कमाल करता है पल भर में ही आप को तू बना देता ह...