Nirmal Jain

Drama

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Nirmal Jain

Drama

मन है चंगा

मन है चंगा

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हर घर-घर में

कठौती गंगा


निर्मल नीर

हर पल कहता

मन की पीर


पावन गंगा

पापों को धोते-धोते

हो गई मैली


अमृत भरा

गंगा प्रधान तीर्थ

पुण्य की धरा


करो उद्धार

गंगा तेरी महिमा

अपरम्पार।


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