STORYMIRROR

Rashmi Jain

Classics

3  

Rashmi Jain

Classics

सावन का इशारा

सावन का इशारा

1 min
333

अज़ब ख़ालीपन है

बेचैन बड़ा यह मन है

सूने आकाश को निहारती हुई

आज़ नज़रें फिर कुछ नम है।


धीरे से तोड़ चुप्पी

अश्कों ने धीमे से

चूम लबों को कह दिया

अरे पगले,

यह तो सावन का मौसम है।


अधरों पर दबी मुस्कान

छलक उठी

और लौटी आँखों की चमक

हाथ पकड़ साए का

भिगो लिया उमीदों के छींटों से

आज़ फिर ये दामन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics