ज़िंदा है तू!
ज़िंदा है तू!
ये दुनिया सुख दुख का मेला है
इस मेले में तू क्यों अकेला है
ग़म को ना समझ बोझ
यह तो खुशी महसूस कराने का बस एक तरीका है
तो चल उठा अपने क़दम
अकेले ही सही
दूर करले अपने सारे भरम
इस वीरान बस्ती में
अपनी हस्ती खोजते चल रहा है
तो ज़िंदा है तू
खुशी का एक बहाना लिए मस्ती में चल रहा है
तो ज़िंदा है तू
अमावस की रात में
दिल में दबी ख्वाहिशों को
जुगनुओं सा जलने दे
अपनी जुनून की चिंगारियों को
थोड़ा और भड़कने दे
इस काली रात के सन्नाटे में
तकिये तले सपने लिए सो रहा है
तो ज़िंदा है तू
खुली आँखों से सपने बुन रहा है
तो ज़िंदा है तू
चेहरे पर यह शिकन कैसी
अधरों पर यह दबी मुस्कान कैसी
पल दो पल की है यह ज़िंदगी
उलझा ना इस परिंदे को
सवालों और जवाबों के जाल में
सवालों के जवाब तो मिल जाएंगे राह चलते चलते
जवाबों के सवाल ना ढूंढ
ज़िंदगी के इस अनदेखे अनजाने सफ़र में
मंज़िल से ज्यादा राहों से मोहब्बत कर चला है
तो ज़िंदा है तू
अपने कदमों के निशां पीछे छोड़ चला है
तो ज़िंदा है तू
रगों में जुनून
सांसों में थोड़ा सा सुकून
यहां जीने के लिए
थोड़ा पागलपन भी जरूरी है
बाँहें खोले समेट ले इन हसीन लम्हों को
क्योंकि
ये धड़कनों की रवानी कल ना होगी
ये सांसो की हलचल कल ना होगी
वक्त के फिराक में
कहीं वक्त को ही ना खो दे
इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में
हर घड़ी दो घड़ी ख़ुद से खुलकर मिल रहा है
तो ज़िंदा है तू
इन खूबसूरत लम्हों को जी भर जी रहा है
तो ज़िंदा है तू
किस बात की है जल्दी
आज फिर जी ले बचपन की वह सादगी
पता नहीं कब ये सांसे साथ छोड़ दे
मौत कब दुल्हन बन आंगन में आ बैठे
पर सांसों के बंद होने से भला कौन मरता है यहां
मौत तो उसी दिन आती है
जीते जी जीने का ज़ज्बा मर जाए जब जहां
तो चल एक बार फिर जीवन के ताल से ताल मिला ले
ज़िंदगी के इस संगीत में
सांसों के तारों से सरगम छेड़ रहा है
तो ज़िंदा है तू
ज़िंदादिली से जीवन का यह अलौकिक गीत गुनगुना रहा है
तो ज़िंदा है तू